चार बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा, मृतका के थी चार बेटियां, बेटा नहीं
चार बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा, मृतका के थी चार बेटियां, बेटा नहीं
खेत खजाना, सिरसा। वर्तमान समय में समाज में जहां हर कोई बेटों की ही चाहत रखता है कि हमारे घर लडक़ा ही हो, जो हमारे बुढ़ापे में सहारा बने। वहीं समाज में मिशाल बन रही बेटियों ने बेटा-बेटी एक समान मुहिम के तहत इस रूढ़ीवादी सोच को बदलते हुए उन तमाम रस्मों को अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर निभाया है, जो बेटों द्वारा ही निभाई जाती थी। इसी कड़ी में शहर के पुरानी कोर्ट कॉलोनी निवासी सरोज परनामी धर्मपत्नी स्व. श्री केवल कृष्ण परनामी (परनामी क्लॉथ हाऊस वाले) के निधन पर उनकी चारों बेटियों ने कंधा देकर समाज को नई दिशा देने का काम किया है।
यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गई। चारों बेटियां न केवल अर्थी के साथ घर से चलीं, बल्कि शमशान घाट पहुंचकर अपनी माता की मुक्ति के लिए हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया। उपस्थित लोगों की भी इस दृश्य को देखकर आंखें नम हो गई। जानकारी अनुसार स्व. सरोज परनामी की चार बेटियां, जिनमें सपना मदान, डा. सीमा पाहवा, नीतू गिरधर व ईशा परनामी हंै और कोई बेटा नहीं है। स्व. सरोज परनामी की बड़ी बेटी विदेश में रहती है।
बड़ी बेटी सपना जोकि पेशे से डॉक्टर है और स्विट्रजलेंड में रहती हैं। अन्य तीन बहनें भी डॉक्टर व इंजीनियर हंै। सपना ने बताया कि वर्तमान समय में बेटियों ने बेटों के बराबर होकर हर उस मुकाम को हासिल किया है, जो कभी सपना लगता था। उन्होंने कहा कि लोगों को अब अपनी सोच बदलने की जरूरत है और उन्हें अपनी बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार देने चाहिए, ताकि बेटा-बेटी का फर्क समाप्त हो जाए। अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़ ने भी बेटियों के हौंसले को सराहा और इसे अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणादायी बताया।